23/134.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
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सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
हिन्दी दोहा बिषय-जगत
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
किये वादे सभी टूटे नज़र कैसे मिलाऊँ मैं
समाज को जगाने का काम करते रहो,
दीपावली
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
ज़िंदगी को किस अंदाज़ में देखूॅं,
ईश्वर का अस्तित्व एवं आस्था
पल पल रंग बदलती है दुनिया
तमाम बातें मेरी जो सुन के अगर ज़ियादा तू चुप रहेगा
माँ के बिना घर आंगन अच्छा नही लगता
उस मुहल्ले में फिर इक रोज़ बारिश आई,
हनुमान वंदना । अंजनी सुत प्रभु, आप तो विशिष्ट हो।
*पहले वाले मन में हैँ ख़्यालात नहीं*
देख तुम्हें जीती थीं अँखियाँ....
आराम से पढ़ियेगा इसे । बहुत ज़रूरी बात है । आपको बीस पच्चीस
वो तेरा है ना तेरा था (सत्य की खोज)
होते हम अजनबी तो,ऐसा तो नहीं होता