"वक्त"के भी अजीब किस्से हैं
हंसें और हंसाएँ
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
मृदा मात्र गुबार नहीं हूँ
रेत सी इंसान की जिंदगी हैं
बदली गम की छंटती, चली गई धीरे धीरे
इत्तिफ़ाक़न मिला नहीं होता।
আমায় নূপুর করে পরাও কন্যা দুই চরণে তোমার
हमने उनकी मुस्कुराहटों की खातिर
घूँघट घटाओं के
singh kunwar sarvendra vikram
छुट्टी का इतवार नहीं है (गीत)
ये दिल किसे माने : अपने और बेगाने ?
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
उम्मीदें जब बॅंध जाती है किसी से...