शब्द भावों को सहेजें शारदे माँ ज्ञान दो।
चांद अब हम तेरा दीदार करेगें
परीक्षाएं आती रहेंगी जाती रहेंगी,
अपनी काविश से जो मंजिल को पाने लगते हैं वो खारज़ार ही गुलशन बनाने लगते हैं। ❤️ जिन्हे भी फिक्र नहीं है अवामी मसले की। शोर संसद में वही तो मचाने लगते हैं।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
रमेशराज की वर्णिक एवं लघु छंदों में 16 तेवरियाँ
ख़ामोशी है चेहरे पर लेकिन
इत्तिफ़ाक़न मिला नहीं होता।
" चले आना "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
1)“काग़ज़ के कोरे पन्ने चूमती कलम”
बुंदेली दोहा -खिलकट (आधे पागल)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आज एक अरसे बाद मेने किया हौसला है,
We Would Be Connected Actually
मैं उम्मीद ही नहीं रखता हूँ