जब कभी तुम्हारा बेटा ज़बा हों, तो उसे बताना ज़रूर
अव्दय
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
कई युगों के बाद - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
वो इश्क़ अपना छुपा रहा था
मेरी शौक़-ए-तमन्ना भी पूरी न हो सकी,
यादों के तराने
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*सबसे सुंदर जग में अपना, तीर्थ अयोध्या धाम है (गीत)*
ज़िंदगी से जितना हम डरते हैं,
अपना पथ स्वयं बनाओ।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
ग़ज़ल : पेट में दाना नहीं
दो दिलों में तनातनी क्यों है - संदीप ठाकुर
सुनो विद्यार्थियों! पुस्तक उठा लो।