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पेड़ सभी काट रहे, टुकड़ों में बांट रहे,
प्रकृति है बचाना तो, वनों को बचाइए…
उजाड़ कर वनों को,एसी घर में लगाया,
वनों को है सजाना तो, वनों को बचाइए…
फूल फूल कली कली, टूट रही गली गली,
फूलों को है खिलाना तो, वनों को बचाइए…
सारे पेड़ काट दिये, जंगलों को बांट दिये,
पेड़ है जो लगाना तो, वनों को बचाइए…
~©अभिषेक श्रीवास्तव “शिवा”