खोने के लिए कुछ ख़ास नहीं
"मन की संवेदनाएं: जीवन यात्रा का परिदृश्य"
जिंदगी की राह में हर कोई,
हम चुप रहे कभी किसी को कुछ नहीं कहा
चित्र आधारित दो कुंडलियाँ
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
लोकतंत्र का मंदिर
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
मेरी ज़रूरतें हैं अजब सी बड़ी, कि मैं,
कभी अंधेरे में हम साया बना हो,
तुझसे उम्मीद की ज़रूरत में ,
*मितव्ययी व्यक्ति सुख में रहता, साधारण जीवन जीता है (राधेश्य
एक दिन मजदूरी को, देते हो खैरात।
जो लोग धन को ही जीवन का उद्देश्य समझ बैठे है उनके जीवन का भो
अपने किरदार से चमकता है इंसान,
आज के समय में शादियां सिर्फ एक दिखावा बन गई हैं। लोग शादी को
कवनो गाड़ी तरे ई चले जिंदगी