सुनो सुनाऊॅ॑ अनसुनी कहानी
बदरा को अब दोष ना देना, बड़ी देर से बारिश छाई है।
जिसने बंदूक बनाई / कमलजीत चौधरी
ख़्याल आते ही क़लम ले लो , लिखो तुम ज़िंदगी ,
विकलांगता : नहीं एक अभिशाप
“ मैथिल क जादुई तावीज़ “ (संस्मरण )
समय संवाद को लिखकर कभी बदला नहीं करता
समय बदलता तो हैं,पर थोड़ी देर से.
तेरा नाम रहेगा रोशन, जय हिंद, जय भारत
वर्तमान साहित्यिक कालखंड को क्या नाम दूँ.
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम