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6 Oct 2023 · 1 min read

◆केवल बुद्धिजीवियों के लिए:-

■ केवल बुद्धिजीवियों के लिए…!!
(कविता मानो कविता : विचार मानो विचार)
【प्रणय प्रभात】
“अगर अपराध है-
हर समय मुस्कुराना,
हंसना और हंसाना।
प्यार करना और सिखाना,
रिश्ता बनाना और निभाना।
किसी की बुझी हुई आंखों में,
आस की चमक उपजाना।
किसी के सूखते होठों पर,
रसीली सी मुस्कान लाना।
बोझ से भारी माहौल को,
हल्का-फुल्का व सरस् बनाना।
रह-रहकर जीवट दिखाना,
कहकहे और ठहाके लगाना।
दिमाग लगाए बिना मन की करना,
दिल से दिल की बात करना।
दुनिया से साझा जज़्बात करना,
हताशा के बीच आशा की बात करना।
बेगानों को अपना बनाना,
अपनों को और क़रीब लाना।
दु:ख में डूबे को सहज बनाना,
सहज को सरलता से रिझाना।
यदि हां, तो मैं अपराधी ही ठीक हूं।
आप किसी और से उम्मीद लगाइए,
कृपया मुझे बुद्धिजीवी ना बनाइए।।
ऐसा मतिमन्द बुद्धिजीवी,
जो न सुलझाए न फंसने दे।
जो न हंसे न हंसने दे।
हर वक्त रोए और रूलाए,
चेहरे पर हर घड़ी बा7रह बजाए।
चिंतित दिखे चिंता उपजाए,
सच छुपा कर झूठ बताए।
आज से ज़्यादा कल को रोए,
घड़ियाल जैसे आंखें भिगोए।
मैं इंसान हूं भगवन इंसान,
तुझसे किसने कहा
कि मुझे देवता मान…?”
😊😊😊😊😊😊😊😊
■प्रणय प्रभात■
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 170 Views

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