■ हिप-हिप हुर्रे…
#लघु4व्यंग्य
■ हिप-हिप हुर्रे…
★ हो जाओ तैयार जवानों!!
अपसंस्कृति के अंतरराष्ट्रीय महापर्व “वेलेंटाइन डे” के लिए काउंट-डाउन शुरू हो गया है। दूध के दांत वालों से लेकर नक़ली बत्तीसी वालों तक मे बेताबी का माहौल है। शातिर “बाज़ीगर” अपनी बाज़ीगरी दिखाने की तैयारी में हैं। बिंदास “सिमरनें” अपनी ज़िंदगी अपने अंदाज़ में जीने को फड़फड़ा रही हैं। जैसे भी हो “रंगीन ह्फ़्ता” या “पखवाड़ा” मन जाए। फिर चाहे हटवाड़ा ही क्यों न हो जाए। केसरिया पूरब पर हरियाते पश्चिम का जादू सिर चढ़ कर बोल रहा है।
“सेंटा-क्लोज़” के बाद “सेंट वेलेंटाइन” की विरासत के नक़ली वारिस असलियों से ज़्यादा उतावले हैं। वो भी इस हद तक कि पूछिए ही मत। दूसरी तरफ़ लठों को तेल पिलाया जा रहा है। लठैती दिखाने का त्यौहार जो आ रहा है। “दोनों तरफ है आग बराबर लगी हुई” वाली बात दो मोर्चों पर साकार होने जा रही है। एक ओर आशनाई की चाह में धड़कते दिल हैं। दूसरी ओर गज़क-कुटाई के लिए फड़कती भुजाएं।
कुल मिला कर अपना नाम एक सप्ताह से लेकर पूरे एक पखवाड़े तक सुर्खी में आना तय है। मामला “प्रणय उत्सव” का जो है। ऊपर वाले को इस बारे में 55 साल पहले पता चल गया था शायद। तभी तो उसने बंदे के “जनम और परण” को इससे जोड़ दिया। तो बोलो “हिप-हिप हुर्रे।” बाद में भले ही उड़ जाएं इज़्ज़त के धुर्रे…।।
【प्रणय प्रभात】
संपादक/न्यूज़ & व्यूज़
श्योपुर (मध्यप्रदेश)