जिंदगी ढल गई डोलते रह गये
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
मैं रुक गया जो राह में तो मंजिल की गलती क्या?
सचमुच वो मुहब्बत करते हैं
तू अपने दिल का गुबार कहता है।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
नज़दीक आने के लिए दूर जाना ही होगा,
लइका ल लगव नही जवान तै खाले मलाई
इतनी मिलती है तेरी सूरत से सूरत मेरी
शिवजी भाग्य को सौभाग्य में बदल देते हैं और उनकी भक्ति में ली
उम्मीद खुद से करेंगे तो ये
ख़ुद से अपना हाथ छुड़ा कर - संदीप ठाकुर
मित्रता का मेरा हिसाब–किताब / मुसाफिर बैठा