■ सीधी-सपाट…
■ अक़्ल के अंधे, वक़्त चिकित्सक
बौद्धिक और वैचारिक अंधता का कोई उपचार किसी के पास नहीं। ठीक वैसे ही, जैसे वहम का उपचार हक़ीम लुक़मान के पास नहीं था। हां, वक़्त चाहे तो ऐसों का इलाज एक न एक दिन ज़रूर हो सकता है। बेहतर यही है कि चुपचाप समय की प्रतीक्षा की जाए। उसी समय की, जिसने बड़े-बड़े दिग्गज सुधार दिए ठोकर मार-मार कर। फिर ये अदने जीव किस खेत के शकरकंद हैं।।
【प्रणय प्रभात】