■ सांकेतिक कविता
■ संपर्क_सूत्रम
● अंक अंक संवाद
● कविता में कुछ ख़ास है
【प्रणय प्रभात】
“अष्ट गंध में नवरस डालो,
पंचदेव को नित्य मना लो।
नवधा भक्ति चार सदवेदा,
नव चिंतन करते हैं पैदा।
त्रिगुण समाहित द्वय हैं पक्षा,
चारों दिशा शून्य की रक्षा।।”
【प्रणय प्रभात】
कौन कहता है कि “कोडिंग” का वास्ता सिर्फ़ गणित से है, हिंदी से नहीं।। 😊