किताब में किसी खुशबू सा मुझे रख लेना
"सम्मान व संस्कार व्यक्ति की मृत्यु के बाद भी अस्तित्व में र
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
पहाड़ चढ़ना भी उतना ही कठिन होता है जितना कि पहाड़ तोड़ना ठीक उस
स्वयं का न उपहास करो तुम , स्वाभिमान की राह वरो तुम
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
वो नाकामी के हजार बहाने गिनाते रहे
आसा.....नहीं जीना गमों के साथ अकेले में
Live life in moments, not in days or years or your schedules
उनकी नाराज़गी से हमें बहुत दुःख हुआ
कविता-आ रहे प्रभु राम अयोध्या 🙏
क्या कभी ऐसा हुआ है?
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}