■ संस्मरण / “अलविदा”
#भावपूर्ण_संस्मरण
अलविदा रमा के देव 😢😢😢
■ मेरी स्मृति में क़ैद एक अमर किरदार
■ अंतिम प्रणाम अनूठे प्रेमरोगी को)
【प्रणय प्रभात】
1982 में बनी फ़िल्म प्रेमरोग हमारे शहर में कुछ माह बाद यानि 1983 में प्रदर्शित हुई। तब मैं हायर सेकेंडरी का छात्र था। बाक़ी मित्रों की तरह फ़िल्म देखने में कोई ख़ास रुचि नहीं थी मुझे।हाँ, कर्णप्रिय गीत संगीत हमेशा से आकृष्ट करता था। इस फ़िल्म के गीत सैकड़ों बार सुने थे। लगभग रट चुके थे। तब पता भी नहीं था कि इन मधुर गीतों के प्रणेता दादा संतोषानंद जी से साक्षात भेंट का अवसर साहित्यिक मंच पर मिलेगा। कभी वो मित्रसूची में भी साथ होंगे। बहरहाल, उस दिन स्कूल जाते समय कृष्णा टॉकीज़ के बाहर लगे बोर्ड पर नज़र गई। पता चला कि आरके फिल्मस के बैनर तले बनी प्रेमरोग लग चुकी है। बस,फिर क्या घा। लिया 1 रुपए 20 पैसे का टिकट और पहुंच गए हॉल में। किसी एक ख़ास विषय पर बना कथानक दिल को कैसे छूता है। रजतपट के चंद किरदार हमारे दिलो-दिमाग़ पर कैसे हावी होते हैं। बेहतरीन गीत-संगीत रूह में कैसे समाता है। एक-एक संवाद, एक-एक दृश्य ज़हन में कैसे उतरता है, यह इसी एक फ़िल्म ने बताया। जिसके पीछे अहम योगदान महान निर्माता निर्देशक श्री राज कपूर साहब का भी था। जिनके कुशल निर्देशन में फ़िल्म का हरेक दृश्य यादगार बन गया। लाजवाब दृश्यांकन भी कभी नहीं भुलाया जा सकता। टॉकीज़ में लगभग 3 महीने तक यह फ़िल्म चली। रोज़ फ़िल्म देखना धुन का हिस्सा बन चुका था। एक-एक दिन में दो-दो शो भी देखे मैंने। यह अकेली फ़िल्म थी जिसे क़रीब 150 बार से ज़्यादा देखा मैंने। टॉकीज़ के अलावा व्हीसीआर और टीव्ही पर भी। फ़िल्म के नायक ऋषि_कपूर (देवधर उर्फ़ देव) और नायिका पद्मिनी कोल्हापुरे (मनोरमा उर्फ़ रमा) ने दिल में एक ख़ास जगह बनाई। ऋषि साहब की वो जगह आज भी दिल की गहराइयों में है। लक्ष्मी प्यारे जी के मादक संगीत और गीतऋषि संतोषानंद जी के शानदार गीतों पर मस्ती से झूमते ऋषि दा का हरेक स्टेप आज भी ज़हन में है। इस कालजयी फ़िल्म की कहानी की माँग के मुताबिक भावपूर्ण अदाकारी करने वाले ऋषि साहब के दुःखद निधन की ख़बर कुछ देर पहले फेसबुक पर मिली। यूं लगा कि जैसे कोई प्रियजन अकस्मात ही बिछड़ गया। लग रहा है कि कोई व्यक्तिगत क्षति हुई है। जो सदैव अपूरणीय रहेगी। नाता दिल का है और अनाम भी। स्तब्ध हूँ अपने बेहद पसंदीदा एक किरदार के हमेशा के लिए चले जाने से। इतना ही कह सकता हूँ अलविदा रमा के देव।
आप सच मे ग्रेट शो-मेन राज कपूर साहब की विरासत के असली वारिस थे।😢