■ विनम्र निवेदन :–
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■ विनम्र निवेदन :–
अहसास आपके अपने हैं तो उन्हें अपने शब्द दें। दूसरे का प्रयास पसंद है तो उसे रचनाकार के नाम के साथ मूलतः उपयोग में लें। ज़रूरी नहीं कि हर कोई कवि, लेखक या शायर ही बने। आप समीक्षक, समालोचक अथवा विचारक भी बन सकते हैं। याद रखिए कि मौलिकता अभिरुचि, और विविधता व अभ्यास के बाद पैदा होती है। वो भी किसी-किसी में।
ऐसे में किसी से लिखवा कर या किसी के लिखे पर अपना नाम चिपका कर कोई स्वयं को समर्थ रचनाकार मानते हुए गौरव का आभास करता रहे तो उसका भगवान भला करे।
बहरहाल 90 प्रतिशत के लिए सलाह यह है कि जबरन लिखने के चक्कर में पूरा समय व श्रम बर्बाद करने के बजाय आधा समय एक अच्छे पाठक के रूप में खर्च करें। यह ऐसा निवेश होगा जो बहुत कुछ देगा। जिन्हें ख़ाली भ्रम में जीना पसंद है, उनके लिए कोई सलाह नहीं।।
■प्रणय प्रभात■