■ विनम्र अपील…
■ विनम्र अपील…
हे घोषणाधिपति!
बस, बस, बस। अब और नहीं। सब दबे पड़े हैं आपकी ज्ञात-अज्ञात घोषणाओं के अम्बार में। अब कृपा करो भल्लाल-तनय!!
😊प्रणय प्रभात😊
■ विनम्र अपील…
हे घोषणाधिपति!
बस, बस, बस। अब और नहीं। सब दबे पड़े हैं आपकी ज्ञात-अज्ञात घोषणाओं के अम्बार में। अब कृपा करो भल्लाल-तनय!!
😊प्रणय प्रभात😊