■ विकृत परिदृश्य…
■ ठीक नहीं आसार…
कभी हर तरह के अभावों और सामित साधनों-संसाधनों वाला हमारा यह देश एक सुरम्य उपवन था। जहां भ्रमर, तितली और पंछी सर्वत्र दिखाई देते थे। आज “हर शाख पे उल्लू बैठा है” वाली बात सटीक साबित हो रही है। भगवान भला करे।।
【प्रणय प्रभात】