■ लेखन मेरे लिए…
■ लेखन मेरे लिए…
एक जुनून, एक शौक़ ही नहीं। एक मज़ेदार खेल भी। कुछ न कुछ नया करने की चाह। हर दिन, हर पल और नतीजा इस शेर की तरह। जिसमें कुछ न होकर भी बहुत कुछ है शायद।।
■प्रणय प्रभात■
■ लेखन मेरे लिए…
एक जुनून, एक शौक़ ही नहीं। एक मज़ेदार खेल भी। कुछ न कुछ नया करने की चाह। हर दिन, हर पल और नतीजा इस शेर की तरह। जिसमें कुछ न होकर भी बहुत कुछ है शायद।।
■प्रणय प्रभात■