■ लघुकथा….
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#लघुकथा
■ नुस्खा……!
【प्रणय प्रभात】
रायबहादुर ज्ञानचंद आज पशोपेश में थे। कोई परिचित उनके अपने शहर में किसी आपदा में फंसा हुआ था। सुबह से चार बार कॉल आ चुकी थी। मदद की आस में पांचवां कॉल आना तय था। बेचैनी से टहलते ज्ञानचंद जी के चेहरे पर अकस्मात एक चमक सी उभरी। उन्होंने नक्काशीदार सेंटर टेबल पर पड़े अपने मोबाइल को उठाया और उसे तुरंत “फ्लाइट मोड” में डाल दिया। मोबाइल को फिर टेबल पर रखते हुए वे बेशक़ीमती नर्म सोफे में धँस चुके थे। उनका तन-मन अब आराम की मुद्रा में था और आँखें बंद। दिमाग़ पूरी तरह टेंशन-फ्री हो चुका था। महसूस हो रहा था कि वो सचमुच हवाई सफ़र पर ही हैं। नुस्ख़ा काम जो आ चुका था उनका।।
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