मैनें प्रत्येक प्रकार का हर दर्द सहा,
छुप जाता है चाँद, जैसे बादलों की ओट में l
दण्डक
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
मेरे प्रभु राम आए हैं
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
ये रात है जो तारे की चमक बिखरी हुई सी
मन्दिर, मस्ज़िद धूप छनी है..!
*खो गया है प्यार,पर कोई गिला नहीं*
मैं इस कदर हो गया हूँ पागल,तेरे प्यार में ।
दोहे- अनुराग
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
हर किसी का एक मुकाम होता है,