खोटा सिक्का....!?!
singh kunwar sarvendra vikram
कल आंखों मे आशाओं का पानी लेकर सभी घर को लौटे है,
हाथ की लकीरों में फ़क़ीरी लिखी है वो कहते थे हमें
मास्टर जी का चमत्कारी डंडा🙏
छोटे भाई को चालीस साल बाद भी कुंडलियां कंठस्थ रहीं
उसकी गलियों में आज मुस्कुराना भारी पड़ा।
23/154.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
*मन् मौजी सा भँवरा मीत दे*
माना की आग नहीं थी,फेरे नहीं थे,
जरुरी है बहुत जिंदगी में इश्क मगर,
बेटिया विदा हो जाती है खेल कूदकर उसी आंगन में और बहू आते ही
......तु कोन है मेरे लिए....
गर्दिश का माहौल कहां किसी का किरदार बताता है.
Dr Arun Kumar shastri एक अबोध बालक arun atript