जपूं मैं राधेकृष्ण का नाम...!!!!
हम बात अपनी सादगी से ही रखें ,शालीनता और शिष्टता कलम में हम
ना जमीं रखता हूॅ॑ ना आसमान रखता हूॅ॑
संघर्षों को लिखने में वक्त लगता है
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
लोगों के रिश्मतों में अक्सर "मतलब" का वजन बहुत ज्यादा होता
*निंदिया कुछ ऐसी तू घुट्टी पिला जा*-लोरी
शाख़ ए गुल छेड़ कर तुम, चल दिए हो फिर कहां ,
Dr. Arun Kumar Shastri – Ek Abodh Balak – Arun Atript
डर, साहस, प्रेरणा,कामुकता,लालच,हिंसा,बेइमानी इत्यादि भावनात्
*श्री महेश राही जी (श्रद्धाँजलि/गीतिका)*
उम्र जो काट रहे हैं तेरी यादों के सहारे,