■ मुक्तक / सियासी भाड़
#कटाक्ष…
■ सियासत का भाड़…
【प्रणय प्रभात】
“अपना ऐब छुपा हर पट्ठा बता रहा हर दिन दूजे का।
खरबूजे ने बदल दिया है रंग दूसरे खरबूजे का।।
आधे चने भुन गए बढ़िया आधे अब तक कच्चे हैं।
दोष नहीं है कोई भाड़ का दोष है बस भड़भूजे का।।”
#कटाक्ष…
■ सियासत का भाड़…
【प्रणय प्रभात】
“अपना ऐब छुपा हर पट्ठा बता रहा हर दिन दूजे का।
खरबूजे ने बदल दिया है रंग दूसरे खरबूजे का।।
आधे चने भुन गए बढ़िया आधे अब तक कच्चे हैं।
दोष नहीं है कोई भाड़ का दोष है बस भड़भूजे का।।”