■ मारे गए गुलफ़ाम
■ फंस गए त्रिकोण में…
कल का दिन उन मक़्क़ार और बहानेबाज़ लोगों के लिए शामत से कम नहीं, जो किसी भी काम को पहली तारीख़, इतवार या नए साल से करने का वचन देते हैं और बच निकलते हैं। कल ये होशियारी चलने वाली नहीं है।
【प्रणय प्रभात】