■ मन की बात…
■ मन की बात…
तमाम लोग होते हैं, जिनसे मिलने की चाह दम तोड़ देती है। तमाम जगह होती हैं, जहां जाना अंततः अपराधबोध और ग्लानि का कारण बनता है। वजह सिर्फ़ एक होती है अनापेक्षित उपेक्षा। जिसकी अपेक्षा स्वयं का मूल्य समझने वाला कोई व्यक्ति कभी नहीं करता। आख़िर आत्म-सम्मान भी कुछ है इस आसार संसार में।
【प्रणय प्रभात】