वो बचपन का गुजरा जमाना भी क्या जमाना था,
*जलते हुए विचार* ( 16 of 25 )
एक छोटी सी रचना आपसी जेष्ठ श्रेष्ठ बंधुओं के सम्मुख
तलवारें निकली है तो फिर चल जाने दो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
बधाई का गणित / *मुसाफ़िर बैठा
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
मत गिनाओ कमियां बुजुर्गों की
तीन औरतें बेफिक्र जा रही थीं,
रफू भी कितना करे दोस्ती दुश्मनी को,
***क्या है उनकी मजबूरियाँ***
कभी-कभी कोई प्रेम बंधन ऐसा होता है जिससे व्यक्ति सामाजिक तौर
जरूरी नहीं जिसका चेहरा खूबसूरत हो