Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Jan 2023 · 1 min read

■ मदमस्त तंत्र…

■ आज की मस्ती, कल की पस्ती
【प्रणय प्रभात】
जैसे एक अधजली बीड़ी या सिगरेट पूरे खेत या जंगल को तबाह कर देती है। जिस तरह शॉर्ट-सर्किट की एक चिंगारी बहुमंज़िली इमारत को फूंक देती है। उसी तरह अनदेखी की राख के नीचे छिपी उन्माद की आंच न केवल एक बस्ती बल्कि शहर को फूंकने का माद्दा रखती है। जिसका विस्तार देश को भी अपनी जद में ले सकता है। उग्रवाद, आतंकवाद के झोंके को झंझावात बनते देख चुकी सरकार आखिर हर बार बड़े खतरे खतरे की आहट को भांपने में कोताही क्यों बरतती है? देश को पूछना चाहिए। ख़ास कर उन सुलगते हालातों में, जो इस समय अनहोनी का कारण बने हुए हैं और कल कहर ढा सकते हैं।

1 Like · 381 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
..
..
*प्रणय*
हमने तुम्हें क्या समझा था,
हमने तुम्हें क्या समझा था,
ओनिका सेतिया 'अनु '
2832. *पूर्णिका*
2832. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
क्षितिज के उस पार
क्षितिज के उस पार
Suryakant Dwivedi
मेरा हमेशा से यह मानना रहा है कि दुनिया में ‌जितना बदलाव हमा
मेरा हमेशा से यह मानना रहा है कि दुनिया में ‌जितना बदलाव हमा
Rituraj shivem verma
🥗फीका 💦 त्योहार 💥 (नाट्य रूपांतरण)
🥗फीका 💦 त्योहार 💥 (नाट्य रूपांतरण)
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
सत्य की खोज में।
सत्य की खोज में।
Taj Mohammad
कहते हैं जबकि हम तो
कहते हैं जबकि हम तो
gurudeenverma198
मन मेरा दर्पण
मन मेरा दर्पण
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
क्या एक बार फिर कांपेगा बाबा केदारनाथ का धाम
क्या एक बार फिर कांपेगा बाबा केदारनाथ का धाम
Rakshita Bora
ऐसे नहीं की दोस्ती,कुछ कायदा उसका भी था।
ऐसे नहीं की दोस्ती,कुछ कायदा उसका भी था।
Sunil Gupta
"नसीबे-आलम"
Dr. Kishan tandon kranti
*चंदा दल को दीजिए, काला धन साभार (व्यंग्य कुंडलिया)*
*चंदा दल को दीजिए, काला धन साभार (व्यंग्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
महाभारत का युद्ध
महाभारत का युद्ध
SURYA PRAKASH SHARMA
किसी नदी के मुहाने पर
किसी नदी के मुहाने पर
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
A Dream In The Oceanfront
A Dream In The Oceanfront
Natasha Stephen
"शहीद साथी"
Lohit Tamta
मौन
मौन
P S Dhami
काश आज चंद्रमा से मुलाकाकत हो जाती!
काश आज चंद्रमा से मुलाकाकत हो जाती!
पूर्वार्थ
या देवी सर्वभूतेषु विद्यारुपेण संस्थिता
या देवी सर्वभूतेषु विद्यारुपेण संस्थिता
Sandeep Kumar
जब तात तेरा कहलाया था
जब तात तेरा कहलाया था
Akash Yadav
धर्म निरपेक्षी गिद्ध
धर्म निरपेक्षी गिद्ध
AJAY AMITABH SUMAN
प्यासा के कुंडलियां (दारू -मदिरा) विजय कुमार पाण्डेय 'प्यासा'
प्यासा के कुंडलियां (दारू -मदिरा) विजय कुमार पाण्डेय 'प्यासा'
Vijay kumar Pandey
हकीकत मोहब्बत की
हकीकत मोहब्बत की
हिमांशु Kulshrestha
প্রশ্ন - অর্ঘ্যদীপ চক্রবর্তী
প্রশ্ন - অর্ঘ্যদীপ চক্রবর্তী
Arghyadeep Chakraborty
सब चाहतें हैं तुम्हे...
सब चाहतें हैं तुम्हे...
सिद्धार्थ गोरखपुरी
सुबह सुबह की चाय
सुबह सुबह की चाय
Neeraj Agarwal
उसकी फितरत ही दगा देने की थी।
उसकी फितरत ही दगा देने की थी।
Ashwini sharma
किताबों की कीमत हीरे जवाहरात से भी ज्यादा हैं क्योंकि जवाहरा
किताबों की कीमत हीरे जवाहरात से भी ज्यादा हैं क्योंकि जवाहरा
Raju Gajbhiye
तेरी जलन बनाए रखना था, मैने अपना चलन नहीं छोड़ा।
तेरी जलन बनाए रखना था, मैने अपना चलन नहीं छोड़ा।
Sanjay ' शून्य'
Loading...