जिन नयनों में हों दर्द के साये, उसे बदरा सावन के कैसे भाये।
हर चीज से वीरान मैं अब श्मशान बन गया हूँ,
"बेज़ारे-तग़ाफ़ुल"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
अब नई सहिबो पूछ के रहिबो छत्तीसगढ़ मे
कवनो गाड़ी तरे ई चले जिंदगी
ग़रीबी तो बचपन छीन लेती है
हम अरण्यरोदण बेवसी के जालों में उलझते रह गए ! हमें लगता है क
साँवलें रंग में सादगी समेटे,
विद्यार्थी को तनाव थका देता है पढ़ाई नही थकाती
मेरी हर आरजू में,तेरी ही ज़ुस्तज़ु है
वो गर्म हवाओं में भी यूं बेकरार करते हैं ।
*युगपुरुष राम भरोसे लाल (नाटक)*
बनना है तो, किसी के ज़िन्दगी का “हिस्सा” बनिए, “क़िस्सा” नही
जीवन एक संगीत है | इसे जीने की धुन जितनी मधुर होगी , जिन्दगी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दरिया की तह में ठिकाना चाहती है - संदीप ठाकुर