मन की रेल पटरी से उतर जाती है
हमने ये शराब जब भी पी है,
अपनी यादों को देखा गिरफ्तार मकड़ी के जाले में
ग़ज़ल _ टूटा है चांद वही , फिर तन्हा - तन्हा !
बाल कविता: तितली रानी चली विद्यालय
■ आज मेरे ज़मीं पर नहीं हैं क़दम।।😊😊
वन में नाचे मोर सखी री वन में नाचे मोर।
हम से मोहबत हों तो वक़्त रहते बता देना|गैरो से जादा बात नही
कांग्रेस के नेताओं ने ही किया ‘तिलक’ का विरोध
दुःख ले कर क्यो चलते तो ?
"जरूरतों में कम अय्याशियों में ज्यादा खर्च कर रहे हैं ll
तेरे नयनों ने यह क्या जादू किया
*गॉंधी जी सत्याग्रही, ताकत में बेजोड़ (कुंडलिया)*
छन्द- वाचिक प्रमाणिका (मापनीयुक्त मात्रिक) वर्णिक मापनी – 12 12 12 12 अथवा – लगा लगा लगा लगा, पारंपरिक सूत्र – जभान राजभा लगा (अर्थात ज र ल गा)
चोर उचक्के बेईमान सब, सेवा करने आए
अश्रु (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
वक्त के साथ-साथ चलना मुनासिफ है क्या