महफिले लूट गया शोर शराबे के बगैर। कर गया सबको ही माइल वह तमाशे के बगैर। ❤️
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
लेखक डॉ अरुण कुमार शास्त्री
जबसे देखा शहर तुम्हारा, अपना शहर भूल गए
मैं पत्थर की मूरत में भगवान देखता हूँ ।
शब्द भावों को सहेजें शारदे माँ ज्ञान दो।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
परछाइयां भी छोटी हो जाया करती है,
वहम और अहम में रहना दोनो ही किसी व्यक्ति के लिए घातक होता है
मनुष्य का कर्म विचारों का फूल है
मैंने मोहब्बत को बड़ी ही शिद्दत से निभाया
ग़ज़ल _ आख़िरी आख़िरी रात हो ।