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4 Sep 2023 · 1 min read

■ फूट गए मुंह सारों के। किनारा कर रहे हैं नपुंसक। निंदा का स

#शिखंडी-
■ फूट गए मुंह सारों के। किनारा कर रहे हैं नपुंसक। निंदा का साहस नहीं।।

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