*कोटि-कोटि हे जय गणपति हे, जय जय देव गणेश (गीतिका)*
ख़ुद को हमारी नज़रों में तलाशते हैं,
शकुनियों ने फैलाया अफवाहों का धुंध
शरारत – कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सुनते भी रहे तुमको मौन भी रहे हरदम।
मैं बेबाक हूँ इसीलिए तो लोग चिढ़ते हैं
मैं मेरा घर मेरा मकान एक सोच
बाल कविता: बंदर मामा चले सिनेमा
गीत- किसी को भाव देना भी...