बिना दूरी तय किये हुए कही दूर आप नहीं पहुंच सकते
इन तूफानों का डर हमको कुछ भी नहीं
तू कहती रह, मैं सुनता रहूँगा।।
ग़ज़ल - कह न पाया आदतन तो और कुछ - संदीप ठाकुर
“दूल्हे की परीक्षा – मिथिला दर्शन” (संस्मरण -1974)
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
रामभक्त शिव (108 दोहा छन्द)
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
खुदा ने तुम्हारी तकदीर बड़ी खूबसूरती से लिखी है,
राह भी हैं खुली जाना चाहो अगर।
*जीवन-नौका चल रही, सदा-सदा अविराम(कुंडलिया)*
देखो भय्या मान भी जाओ ,मेरा घरौंदा यूँ न गिराओ