"उडना सीखते ही घोंसला छोड़ देते हैं ll
स्वार्थी मनुष्य (लंबी कविता)
रेत समुद्र ही रेगिस्तान है और सही राजस्थान यही है।
मन का मिलन है रंगों का मेल
दिन में तुम्हें समय नहीं मिलता,
सेर (शृंगार)
सूरज राम आदित्य (Suraj Ram Aditya)
हृदय को भी पीड़ा न पहुंचे किसी के
23/20.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
इसलिए कठिनाईयों का खल मुझे न छल रहा।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
“देवभूमि क दिव्य दर्शन” मैथिली ( यात्रा -संस्मरण )
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -188 से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*धन्य तुलसीदास हैं (मुक्तक)*
मैं मैं नहिंन ...हम हम कहिंन