■ नहीं बदले हालात…।
#लघु_कविता-
■ जो कल था, वही आज है।
【प्रणय प्रभात】
नहीं केबिन में हैं अफ़सर,
नहीं कुर्सी पे हैं बाबू।
वो चाचा चौधरी जैसे,
ये ख़ुद को मानते साबू।
वहां माहौल क्या होगा,
जहां मुखिया हो बेकाबू।
जहां इंसां पुजारी है,
जहां इंसान मालिक है,
मैं उस सूबे का वासी हूं,
जहां भगवान मालिक है।।
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