■ साल चुनावी, हाल तनावी।।
अब ऐसे दस्तूर हुए हैं
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
झूठे परदे जो हम हटाने लगे,
कामुकता एक ऐसा आभास है जो सब प्रकार की शारीरिक वीभत्सना को ख
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फिर तेरी याद आई , ए रफी !
मन्नतों के धागे होते है बेटे
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
गलतियाँ करना ''''अरे नही गलतियाँ होना मानव स्वभाव है ।
लिखना चाहूँ अपनी बातें , कोई नहीं इसको पढ़ता है ! बातें कह
कार्यक्रम का लेट होना ( हास्य-व्यंग्य)
⚘छंद-भद्रिका वर्णवृत्त⚘
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी