मुश्किल है जिंदगी में ख्वाबों का ठहर जाना,
- तेरे बिना भी क्या जीना -
23/58.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
हम–तुम एक नदी के दो तट हो गए– गीत
बोझ लफ़्ज़ों के दिल पे होते हैं
झीमिर-झीमिर बरसा मा, धरती के अंतस जुड़ागे।
हिम्मत है तो कुछ भी आसान हो सकता है
जब कोई हाथ और साथ दोनों छोड़ देता है
राम आयेंगे अयोध्या में आयेंगे
चाहो न चाहो ये ज़िद है हमारी,
सद्ज्ञानमय प्रकाश फैलाना हमारी शान है।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
🍁तेरे मेरे सन्देश- 9🍁
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
अटल बिहारी मालवीय जी (रवि प्रकाश की तीन कुंडलियाँ)
नाकामयाब पुरुष की कहानी यूँ अनकही रह जाती है,उसकी पसंदीदा स्
सबक ज़िंदगी पग-पग देती, इसके खेल निराले हैं।
వచ్చింది వచ్చింది దసరా పండుగ వచ్చింది..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
सर पर हाथ रख दूं तो आजाद हो जाएगा,