■ चौराहे पर जीवन
■ कतआ (मुक्तक)
【प्रणय प्रभात】
पशोपेश में ज़िंदगी अक़्सर आती है। शायद यह बताने के लिए कि जीवन नाम ही कशमकश (असमंजस) का है। जिसकी राह सीधी-सरल बिल्कुल नहीं।।
#मुक्तक-
“हम ही छोटे थे सभी हम से बड़े हैं।
बज़्म में तो आपकी लाखों पड़े हैं।।
चाहते थे एक पगडण्डी पकड़ना।
देखिए, चौराहे पे आकर खड़े हैं।।”
【प्रणय प्रभात】