दोहा त्रयी. . . . मत कर और सवाल
आत्म मंथन
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
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23/179.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
मधुमाश
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
लिबासों की तरह, मुझे रिश्ते बदलने का शौक़ नहीं,
धड़कनों में प्यार का संचार है ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
मै खामोश हूँ , कमज़ोर नहीं , मेरे सब्र का इम्तेहान न ले ,
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव "अज़ल"
एक डरा हुआ शिक्षक एक रीढ़विहीन विद्यार्थी तैयार करता है, जो
आज का इंसान ज्ञान से शिक्षित से पर व्यवहार और सामजिक साक्षरत
पूछ मत प्रेम की,क्या अजब रीत है ?
मैं भी तुम्हारी परवाह, अब क्यों करुँ
*वैज्ञानिक विद्वान सबल है, शक्तिपुंज वह नारी है (मुक्तक )*
विष बो रहे समाज में सरेआम