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26 Apr 2023 · 1 min read

■ गीत (दर्शन)

#गीत
■ जीवन कभी न हारा…!!
【प्रणय प्रभात】
● जीवन का झरना बहता जाए, साँसों की जलधारा।
मुट्ठी से ज्यों रेत सरकती, जीवन बीते सारा।
जीवन का झरना बहता जाए।।

● नदी बीच चट्टान सा जीवन, रिश्तों की है काई,
फिसलन देती क़दम-क़दम पर, ज़रा संभलना भाई।
बैठ के बढ़ना, हो जो गुज़रना, अगर न मिले सहारा,
और उपाय नहीं है सुन लो, अनुभव यही हमारा।
जीवन का झरना बहता जाए।।

● पग-पग घटतीं सौ-सौ साँसें, सौ-सौ धड़कन दिल की,
क़दम-क़दम पर घटती दूरी, लगन बढ़ी मंज़िल की।
बढ़ते हैं पाँव पीछे छूटता है गाँव, मन बना आज बंजारा,
चलते-चलते क्या रुकना अब, बस कुछ दूर किनारा।
जीवन का झरना बहता जाए।।

● जीने की ख़्वाहिश में मरना, या मर-मर कर जीना,
ठीक नहीं है आहें भरना, घुटना, आँसू पीना।
झूठी हर आस झूठा हर विश्वास, हर इक नाता नाकारा,
कब तक लें उधार की साँसें होता नहीं गुज़ारा।
जीवन का झरना बहता जाए।।

● श्वेत-श्याम पर रात-दिनों के, पंछी उड़े समय का,
मृत्यु शाश्वत सत्य सनातन, काम भला क्या भय का?
तन नश्वर है, रूह अमर है, लेगी जनम दुबारा,
मौत अजेय-अटल होती पर, जीवन कभी न हारा।
जीवन का झरना बहता जाए।।

■प्रणय प्रभात■
श्योपुर (मध्यप्रदेश)

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