■ ग़ज़ल / आने वाला कल ना आया….!
#ग़ज़ल
■ आने वाला कल ना आया….!
【प्रणय प्रभात】
★ जो बीता वो पल ना आया।
आने वाला कल ना आया।।
★ कल की आस रही बस तब तक।
जब तक सूरज निकल ना आया।
★ इंतज़ार की टहनी सूखी।
लेकिन कोई फल ना आया।।
★ दुनिया रूपी विद्यालय में।
सब कुछ सीखा छल ना आया।।
★ धोखे कितने खाए हमने।
पेशानी पर बल ना आया।।
★ लाख पहेली बुझी फिर भी।
कुछ प्रश्नों का हल ना आया।।
★ मरुथल उपवन बन सकता था।
भरा हुआ बादल ना आया।।