कहने वाले कहने से डरते हैं।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
शुभ दिन सब मंगल रहे प्रभु का हो वरदान।
कोई न सुन सके वह गीत कभी गाया क्या ?
تونے جنت کے حسیں خواب دکھائے جب سے
प्रेम को भला कौन समझ पाया है
सागर ने जब जब हैं हद तोड़ी,
फ़ुरसत से निकालों वक्त, या अपना वक्त अपने पास रखो;
साथ दीन्हौ सगतीयां, हरदम भेळी आप।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
हमारा अस्तिव हमारे कर्म से होता है, किसी के नजरिए से नही.!!
*सवर्ण (उच्च जाति)और शुद्र नीच (जाति)*
*मौका मिले मित्र जिस क्षण भी, निज अभिनंदन करवा लो (हास्य मुक
कभी लगते थे, तेरे आवाज़ बहुत अच्छे