"शरीर सुंदर हो या ना हो पर
कुंभकार
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
कुछ खो गया, तो कुछ मिला भी है
गुलाम
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
न जाने कितनी उम्मीदें मर गईं मेरे अन्दर
* भीतर से रंगीन, शिष्टता ऊपर से पर लादी【हिंदी गजल/ गीति
लड़कियों को विजेता इसलिए घोषित कर देना क्योंकि वह बहुत खूबसू