कभी कभी ये जीवन आपके सब्र की परीक्षा लेता है आपको ऐसी उलझनों
मेरे एहसास का तुम्हीं मरकज़,
हाँ हम ऐसे ही बाल दिवस मनाते है - डी. के. निवातिया
लोग दुनिया में बहुत बाटे गिरावे वाला
मेरी उम्मीदों पर नाउम्मीदी का पर्दा न डाल
एक पुरुष कभी नपुंसक नहीं होता बस उसकी सोच उसे वैसा बना देती
जीवन सूत्र (#नेपाली_लघुकथा)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
लेखक डॉ अरुण कुमार शास्त्री
सस्ता हुआ है बाजार, क़ीमत लगाना चाहिए,