■ कैसे भी पढ़ लो…
■ कैसे भी पढ़ लो…
आकर काम संभाल ले
मैं कर लूं आराम।
अंधियारे ने ख़त लिखा
उजियारे के नाम।।
इसे अंधियारे के नाम उजियारे के ख़त के रूप में भी पढ़ सकते हैं आप। मामला आख़िर आराम का है और सवाल अपनी बारी का।
■प्रणय प्रभात■
■ कैसे भी पढ़ लो…
आकर काम संभाल ले
मैं कर लूं आराम।
अंधियारे ने ख़त लिखा
उजियारे के नाम।।
इसे अंधियारे के नाम उजियारे के ख़त के रूप में भी पढ़ सकते हैं आप। मामला आख़िर आराम का है और सवाल अपनी बारी का।
■प्रणय प्रभात■