हम सभी केवल अपने लिए जीते और सोचते हैं।
चाहे बड़े किसी पद पर हों विराजमान,
मुक्तक - वक़्त
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
उसके कहने पे दावा लिया करता था
बाण मां के दोहे
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
जहां काम तहां नाम नहि, जहां नाम नहि काम ।
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
शिक्षा सकेचन है व्यक्तित्व का,पैसा अधिरूप है संरचना का
हर पल ये जिंदगी भी कोई खास नहीं होती ।
दहेज रहित वैवाहिकी (लघुकथा)
ऊर्जा का सार्थक उपयोग कैसे करें। रविकेश झा
बिखर गई INDIA की टीम बारी बारी ,
तुमको खोया नहीं गया हमसे।