घर की गृहलक्ष्मी जो गृहणी होती है,
Shankar Dwivedi's Poems
Shankar lal Dwivedi (1941-81)
मेरी खुदाई
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
🌹 *गुरु चरणों की धूल*🌹
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
तेरा-मेरा साथ, जीवनभर का ...
दिल मेरा तोड़कर रुलाते हो ।
उसकी वो बातें बेहद याद आती है
काश ! लोग यह समझ पाते कि रिश्ते मनःस्थिति के ख्याल रखने हेतु
थक गये चौकीदार
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
"घूंघट नारी की आजादी पर वह पहरा है जिसमे पुरुष खुद को सहज मह
बदल जाएगा तू इस हद तलक़ मैंने न सोचा था
छन्द- सम वर्णिक छन्द " कीर्ति "
मैं हूं न ....@
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
धड़कनें जो मेरी थम भी जाये तो,
*** तोड़ दिया घरोंदा तूने ,तुझे क्या मिला ***
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार