हो पवित्र चित्त, चित्र चांद सा चमकता है।
यूं किसने दस्तक दी है दिल की सियासत पर,
दस्त बदरिया (हास्य-विनोद)
पलकों ने बहुत समझाया पर ये आंख नहीं मानी।
वेद पुराण और ग्रंथ हमारे संस्कृत में है हर कोई पढ़ा नही पाएं
ज़माना इश्क़ की चादर संभारने आया ।
आपके लबों पे मुस्कान यूं बरकरार रहे ,
इंसान तो मैं भी हूं लेकिन मेरे व्यवहार और सस्कार
बरसात
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
जगमग जगमग दीप जलें, तेरे इन दो नैनों में....!
singh kunwar sarvendra vikram
जीवन है बस आँखों की पूँजी
मैं कौन हूँ कैसा हूँ तहकीकात ना कर
स्वयंभू
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)