■ कविता / अमर गणतंत्र
🇮🇳 अमर_रहे_गणतंत्र
【प्रणय प्रभात】
“अमर गणतंत्र है अपना
अमर अपनी विरासत है।
समूचे विश्व में सबसे
अनूठी ये रियासत है।
यहाँ इंसानियत पलती
विविध धर्मों की गंगा है।
यहाँ इक दिल से लेकर
आसमां तक बस तिरंगा है।
यहाँ वेतन नहीं खातिर
वतन के फ़ौज लड़ती है।
यहाँ तरुणाई रक्षा के लिए
सरहद पे अड़ती है।
यहाँ हर दिन किसी
त्यौहार की मस्ती बरसती है।
यहाँ पे जन्म पाने रूह
देवों की तरसती है।
कई हैं मुल्क दुनिया में
वतन ये सबसे न्यारा है।
ये हिंदुस्तान अपना इसलिए
दिल-जां से प्यारा है।।”