Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Jan 2023 · 1 min read

■ कविता / अमर गणतंत्र

🇮🇳 अमर_रहे_गणतंत्र
【प्रणय प्रभात】
“अमर गणतंत्र है अपना
अमर अपनी विरासत है।
समूचे विश्व में सबसे
अनूठी ये रियासत है।
यहाँ इंसानियत पलती
विविध धर्मों की गंगा है।
यहाँ इक दिल से लेकर
आसमां तक बस तिरंगा है।
यहाँ वेतन नहीं खातिर
वतन के फ़ौज लड़ती है।
यहाँ तरुणाई रक्षा के लिए
सरहद पे अड़ती है।
यहाँ हर दिन किसी
त्यौहार की मस्ती बरसती है।
यहाँ पे जन्म पाने रूह
देवों की तरसती है।
कई हैं मुल्क दुनिया में
वतन ये सबसे न्यारा है।
ये हिंदुस्तान अपना इसलिए
दिल-जां से प्यारा है।।”

1 Like · 464 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"याद रहे"
Dr. Kishan tandon kranti
हो हमारी या तुम्हारी चल रही है जिंदगी।
हो हमारी या तुम्हारी चल रही है जिंदगी।
सत्य कुमार प्रेमी
ज़िंदगी का सफ़र
ज़िंदगी का सफ़र
Dr fauzia Naseem shad
सत्य साधना -हायकु मुक्तक
सत्य साधना -हायकु मुक्तक
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
शहीदों को नमन
शहीदों को नमन
Dinesh Kumar Gangwar
रंगों के पावन पर्व होली की आप सभी को हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभ
रंगों के पावन पर्व होली की आप सभी को हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभ
आर.एस. 'प्रीतम'
🥀 #गुरु_चरणों_की_धूल 🥀
🥀 #गुरु_चरणों_की_धूल 🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
"तुम तो बस अब गरजो"
Ajit Kumar "Karn"
मैं मजदूर हूं
मैं मजदूर हूं
हरवंश हृदय
सावन
सावन
Dr Archana Gupta
कही दूर नहीं हो ,
कही दूर नहीं हो ,
Buddha Prakash
सब कुछ मिट गया
सब कुछ मिट गया
Madhuyanka Raj
*नमन गुरुवर की छाया (कुंडलिया)*
*नमन गुरुवर की छाया (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
कौर दो कौर की भूख थी
कौर दो कौर की भूख थी
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
लम्हे पुराने
लम्हे पुराने
मनोज कर्ण
"इक दनदनाती है ,रेल ,जो रोज है चलती ,
Neeraj kumar Soni
Feeling of a Female
Feeling of a Female
Rachana
हाइकु-गर्मी
हाइकु-गर्मी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
हनुमंत लाल बैठे चरणों में देखें प्रभु की प्रभुताई।
हनुमंत लाल बैठे चरणों में देखें प्रभु की प्रभुताई।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
हमारा दिल।
हमारा दिल।
Taj Mohammad
है कौन वो राजकुमार!
है कौन वो राजकुमार!
Shilpi Singh
पृथक- पृथक चूल्हे हुए,
पृथक- पृथक चूल्हे हुए,
sushil sarna
लाभ की इच्छा से ही लोभ का जन्म होता है।
लाभ की इच्छा से ही लोभ का जन्म होता है।
Rj Anand Prajapati
इंसान समाज में रहता है चाहे कितना ही दुनिया कह ले की तुलना न
इंसान समाज में रहता है चाहे कितना ही दुनिया कह ले की तुलना न
पूर्वार्थ
कितने बदल गये
कितने बदल गये
Suryakant Dwivedi
शक्तिशाली
शक्तिशाली
Raju Gajbhiye
बदलियां
बदलियां
surenderpal vaidya
बंधनों के बेड़ियों में ना जकड़ो अपने बुजुर्गों को ,
बंधनों के बेड़ियों में ना जकड़ो अपने बुजुर्गों को ,
DrLakshman Jha Parimal
*बस एक बार*
*बस एक बार*
Shashi kala vyas
#आदरांजलि
#आदरांजलि
*प्रणय*
Loading...