सनातन
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
*भीड बहुत है लोग नहीं दिखते* ( 11 of 25 )
एक दिन जब वो अचानक सामने ही आ गए।
वो सोचते हैं कि उनकी मतलबी दोस्ती के बिना,
*चुनाव से पहले नेता जी बातों में तार गए*
स्वाल तुम्हारे-जवाब हमारे
प्रेम पगडंडी कंटीली फिर भी जीवन कलरव है।
एक पिता की पीर को, दे दो कुछ भी नाम।
हम भारतीयों की बात ही निराली है ....
*शाश्वत जीवन-सत्य समझ में, बड़ी देर से आया (हिंदी गजल)*
जब से मेरी आशिकी,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
सेंधी दोहे
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali