■ कटाक्ष….
■ आज की बात….
“का वर्षा जब कृषी सुखाने” वाली बात लगता है सरकार को आज़ादी के 75 साल बाद भी समझ नहीं आई है। आज का बेड़ा ग़र्क़ कर कल के सपने दिखाने वाले भाग्य-विधाताओं से क्यों न पूछा जाए कि 25 साल बाद की बात क्यों ..? काल पर विजय आप जैसे माल खाने वालों को मिले तो मिल जाए। बेचारी आम जनता को तो कल छोड़िए, अगले पल का भरोसा नहीं। आप पहले आज की बात करो, बिना उल्लू और लल्लू बनाए।
【प्रणय प्रभात】