■ और क्या बोलें…..?
■ एक नैसर्गिक सच…!!
【प्रणय प्रभात】
बाग़-बाग़ भटकते आवारा भँवरे का काम एक कली का रस चूस कर दूसरी पर मंडराना है। उनसे ब्याह रचाना और रिश्ता निभाना नहीं। यह नैसर्गिक सच्चाई मूर्ख कलियों को समझ न आए तो पौधे या माली क्या करें…? झूमो दिशा बदलती हवा के साथ अपनी मस्ती में और मरो अकाल मौत। दुनिया कब तक, कहाँ तक और क्यों मनाएगी आए दिन मातम…? आज तो चर्चा भी हो रही है। कल वो भी बंद हो जाएगी शायद।।