■ एक ही उपाय ..
■ एक ही उपाय ..
हम जगत को सुधार पाने में न कल समर्थ थे, न आज हैं और न ही कल होंगे। हां, खुद को सुधार कर हम बहुत कुछ सुधार सकते हैं। ग़ैरत को गिरवी रखने की बीमारी से उबर सकें तो।।
■प्रणय प्रभात■
■ एक ही उपाय ..
हम जगत को सुधार पाने में न कल समर्थ थे, न आज हैं और न ही कल होंगे। हां, खुद को सुधार कर हम बहुत कुछ सुधार सकते हैं। ग़ैरत को गिरवी रखने की बीमारी से उबर सकें तो।।
■प्रणय प्रभात■