■ एक सलाह…
आयोजन कोई भी हो, भव्यता से अधिक दिव्यता पर केंद्रित होना चाहिए। जिसमें आतिथेय व अतिथि के बीच की आत्मीयता परिलक्षित हो। आयोजन विस्तृत हो या न हो, इतना विकृत नहीं होना चाहिए कि उसमें आयोजक सहज न दिखे और अतिथि भी असहजता का अनुभव करें। समरसता व सरसता के लिए यह ध्यान रखा जाना परम् आवश्यक है।